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Tum To Nahin Thi?

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तुम तो नहीं थीं? मेरी शायरी कहीं तुम तो नहीं थी? के अब तेरे जाने के बाद, लिख नहीं पाते हैं हाथ, काफिले मिलते ही नहीं, लफ्ज़ आएं नज़र न सही, मेरी शायरी कहीं तुम तो नहीं थी? मेरी आशिकी कहीं तुम तो नहीं थी? के अब तेरे बिना,न कटे दिन और रात, भाए मुझे न अब किसी और का साथ, अब लगती नहीं,न भूख न प्यास, राह में आँखें बिछें,लेके तेरे आने की आस, मेरी आशिकी कहीं तुम तो नहीं थी? मेरी दिल्लगी कहीं तुम तो नहीं थी? चुपचाप सा रहूँ अब तेरे बगैर, दोस्त रिश्तेदार लगने लगे हैं गैर, कहीं खो सी गई है अब मेरी हसी, मेरी धडकनों में तू ही तू बसी, मेरी दिल्लगी कहीं तुम तो नहीं थी? मेरी किस्मत कहीं तुम तो नहीं थीं? के अब टूटे-टूटे हैं सारे ख्वाब, आसमां से भी मिलता नहीं जवाब, हर ख़ुशी को तरसता हूँ, तनहाइयों में सिसकता'हूँ, मेरी किस्मत कहीं तुम तो नहीं थीं? मेरी ज़िन्दगी कहीं तुम तो नहीं थीं, के रुक-रुक के आती है अब सांस, मिटती जो नहीं तुझसे मिलने की आस, अब इसके सिवा नहीं कोई आरज़ू मेरी, तेरी बाँहों में ही निकले जान ये मेरी, मेरी ज़िन्दगी ...