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Tune Saha Jo Dard

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तूने सहा जो दर्द  image from: indiatimes.com तूने सहा जो दर्द वो इन्तेहाँ ही थी, तडपी तू रात भर वो हमारी खता भी थी, तेरे वास्ते जो शोरो-गुल है फ़िक्र है तेरी, हालत की तेरी एक वजह हम में भी कहीं थी। जो अब ये आवाज़े यूँ ही दब गईं, कोशिशें गर सारी यूँ ही व्यर्थ गईं, फिर आइना न देखें वो खादी लिबास में, इज्ज़त जिनकी ख़ाक फिर ता उम्र हो गई। मौत की सज़ा भी बहुत कम है मगर, उन दरिन्दों सी गर हम भी लें डगर, मकसद ये भटक जाएगा फिर इन्साफ का, की महफूज़ रह सकें ज़ीनतें शामो-सहर। आहें तेरी,चीखें तेरी अब सैलाब बन चुकीं, चिंगारियां उठीं थीं जो अब आग बन चुकीं,  न थकेंगे,न रुकेंगे,न थमेंगे हम, फरियादें अब तलक थी जो अब फरमान बन चुकीं।