मै कह दूं तो न घबराओ
मै कह दूं तो न घबराओ
मै कह दूं तो न घबराओ,ये सोच के चुप हो जाता हूँ,
शर्माती हो जब तुम तो मै भी तो शर्मा जाता हूँ।
बरसातों में मै भी तेरे संग-संग भीगूँ,
मयूर सी जब झूमें तू,ताल मै तबले पे लूँ,
भीगी ज़ुल्फों की छींटों से ही पर मै छुप जाता हूँ,
शर्माती हो जब तुम तो मै भी तो शर्मा जाता हूँ।
होली के रंगों से तेरा मै आँचल रंग दूं,
मुस्कान तेरी बढाने में,मै तेरा संग दूँ
पर गुलाल लगाने से पहले मै लाल हो जाता हूँ,
शर्माती हो जब तुम तो मै भी तो शर्मा जाता हूँ।
तेरी मधुर वाणी को शब्द अपने मै दूँ,
गीत जब गाए तू तो,उसे संगीत मै दूँ,
सरगम तेरी मगर सुनकर मन्त्रमुग्द हो जाता हूँ,
शर्माती हो जब तुम तो मै भी तो शर्मा जाता हूँ।
तेरे कोमल हाथों को चूड़ियों से भर दूँ,
नाम तू बस मेरा ले,तुझको इतना प्रेम मै दूँ,
पाने में कहीं खो ना दूँ,यूँ मै डर जाता हूँ,
शर्माती हो जब तुम तो मै भी तो शर्मा जाता हूँ।
मै कह दूं तो न घबराओ,ये सोच के चुप हो जाता हूँ,
शर्माती हो जब तुम तो मै भी तो शर्मा जाता हूँ।
Lamhat(Moments) has completed one year today i.e 30th August 2013 and this post is my hundredth post. Two achievements in one day.
thanks
ReplyDeleteBeautiful poem and congratulations on the double milestone.
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