NAFRAT(HATE)

नफ़रत 


प्यार आपसे न मिला,ठोकर ही मैंने खाई है,
मोहब्बत हासिल न हुई तो नफ़रत ही अपनाई है।
You always pull me down against my liking of you,
When failed in getting your love,I earned hate of you.

नफ़रत को आपकी झोले में अपने भर लिया,
आपने जब छोड़ा उसको हमने ही तो घर दिया।
I have kept your hatred close to my heart,
When you leaved it,I gave it such comfort.

आसुओं से उसके  कदम धोए रोज़ हैं,
आहें जो उसने सुनी हैं आज उसपे बोझ है।
I have washed its foot with my tears,
My sighs are burden on it which it hears.

पास मेरे बैठकर वोह दर्द जो सुनता गया,
मेरा ही था और भी अपना वोह बनता गया।
As much it listened to my pain,
Its trust and regards what I gain.

नफ़रत जो हमने तेरी अपनाई है,
तो ही मोहब्बत की जगह सीने में तेरे आयी है।
When I have take away hatred from you,
that when love started to bloom in you.

आज तेरा प्यार जो औरों को है मिल रहा,
क्यूंकि नफ़रत का तेरा फूल कहीं और है खिल रहा।
Today,others are getting your Love's shower,
as it is with me,your hate filled flower

मुझको शिकवा तुझसे कभी भी था नहीं ,
 तेरी नफ़रत थी हर पल मेरे संग रही।
I never complained to you of your neglect,
Because I am getting from your hatred full respect.

आज भी जब ले रहा दिल ज़िन्दगी से विदाई है,
सोचता हूँ अच्छा रहा नफ़रत जो तेरी पाई है।
When today,I am leaving the world empty handed,
it feels good to have your hatred in abundant.

नफ़रत को तेरी आज मोहब्बत है हमसे हो गई,
तू मेरा न हुआ तो क्या, नफरत तो मेरी हो गई।
Your hate has started loving me,to me it only confine,
What if you are not mine,your hate is mine,your hate is mine.

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