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Mein Wahin Pe Rah Gaya

मै वहीँ पे रह गया। ज़िन्दगी बढती गई,मै वहीँ  पे रह गया, मै चल भी न सका और समय बह गया। न मेरी राहें कोई,न मंजिल है कोई, धुल फिर भी उड़ती गई,जिसमें मै खो गया। ज़िन्दगी बढती गई,मै वहीँ  पे रह गया। धुप से छाओं से क्या मेरा वास्ता, में बस सुनाता रहा भूली सी दास्तां, किस्से बनते रहे,मै मगर सो गया, मै चल भी न सका और समय बह गया। दर्द से जुड़ गया जो एक रिश्ता नया, छोड़ वो भी गया जब हद से ज़्यादा बड़ गया, सरगमों में मै ही दर्द को चुनता गया, मै चल भी न सका और समय बह गया। ज़िन्दगी बढती गई,मै वहीँ  पे रह गया। "आगे बढता रहूँ",जो करूँ में ये दुआ, जो हुआ ना भूल तू है यही मेरा फलसफा, खुद से लड़ता हुआ मै ही मिटता गया, मै चल भी न सका और समय बह गया। ज़िन्दगी बढती गई,मै वहीँ  पे रह गया। तन्हाई कहे अब तू मुझे छोड़ जा,  तोड़ दे जो बरसों का है नाता ही ये बन गया,  रो पडूँगी मै अगर मुझसा ही तू हो गया, मै चल भी न सका और समय बह गया। ज़िन्दगी बढती गई,मै वहीँ  पे रह गया।