Sunahra Parda
सुनहरा पर्दा। कोरे-कागज़ सी ज़िन्दगी में कितने रंग भर देता है, ये सुनहरा पर्दा हर हफ्ते एक नया जनम ले लेता है। आस कभी,एहसास कभी ,विशवास कभी तुझसे पाया, सौ सालों में तूने है अलग-अलग रूप अपनाया, अपने किरदारों से अक्सर दिल की हमारे कह देता है, कोरे-कागज़ सी ज़िन्दगी में कितने रंग भर देता है। सपना देखना हिंदुस्तान को तूने ही सिखलाया, जब तू चुप था तब भी तूने प्यार करना बतलाया, तू ही हक की ख़ातिर लड़ने को हिम्मत देता है, कोरे-कागज़ सी ज़िन्दगी में कितने रंग भर देता है। असीमित आकाश दिखाकर तूने उड़ना समझाया, सब बेहतर हो जायेगा ये उम्मीद तू ही तो लाया, तू ही कहता है की इशवर सब ठीक कर देता है, कोरे-कागज़ सी ज़िन्दगी में कितने रंग भर देता है। हमारे अधिकारों से तूने ही हमें मिलवाया, इन्सान हो इन्सान बनो संग तेरे ही गुनगुनाया, भटके को रस्ता कभी,कभी गिरे को उठा देता है, कोरे-कागज़ सी ज़िन्दगी में कितने रंग भर देता है। सच और साहस का मोल बताया,सरहदों का भेद मिटाया, रिश्तें रब बनाता है तूने हर बार दिखलाया, फिल्मों से तो हर कोई अपने चिंता,ग़म,भुला देता है, कोरे-कागज़ सी