Ab To Ghabra Ke -' Zauq'
अब तो घबरा के ये कहते है (In Panic now I say)- Ibrahim Zauq अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएंगे, मर गए पर न लगा जी तो किधर जाएँगे। In panic now I say,It will be better to die, But if peace be not in death,whither then. सामने चश्मे-गुहरबार के ,कह दो दरिया, चढ़ के अगर आये तो नज़रों से उतर जाएँगे। In front of pearl like tears shedding eyes, tell river, that if you came climbing,you are out of sight then. ख़ाली ऐ चारागरों होंगे बहुत मरहमदान, पर मेरे ज़ख्म नहीं ऐसे कि भर जाएँगे। Too many salve box will get empty,doctors, but my wounds are such that not to be healed even then. पहुंचेंगे रहगुज़र-ए-यार तलक हम क्यूँ कर, पहले जब तक न दो आलम से गुज़र जाएँगे। Why do I reach to the way of my beloved, before whole universe i roam,until then. आग़ दोज़क़ की भी हो आएगी पानी-पानी, जब ये आसी अरक-ए-शर्म से तर जाएँगे। Fire of hell will also get ashamed when sinful get saturated in shame's perspiration then हम नहीं वो जो करें ...