Ek Nukte Wich Gal Mukdi Ae-Bulle Shah
एक नुख्ते विच गल मुग्दी ऐ।(At this point,all talks end.)-Bulle Shah
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पढ़ नुख्ता छोड़ हिस्बा नूं, सब हिसाब छोड एक सबक पड़ो,
कर दूर कुफ्र दियां बाबां नूं, बातें कुफ्र की सब पीछे छोड़ो,
छड़ दोज़ख गोर अज़ाबां नूं, नरक के श्राप का डर छोड़ो,
कर साफ़ दिलां दियां ख़्वाबां नूं दिल बस अपना तुम साफ़ करो,
गल ऐसे घर विच ठुक्दी ऐ। ऐसे घर में ही बात बनती है,
एक नुख्ते विच गल मुग्दी ऐ। इस नुख्ते(बिंदु )पर बहस रूकती है।
Learn that point,leave all calculations,
leave all of unbeliefs' conversations,
leave fear of curse of hell,
clear only your hearts' dream well,
At such a house,He only went,
At this point,all talks end.
ऐवएं माथा ज़मीन घिसैय दा, बेकार ही ज़मीन पे माथा घिसते हो,
पा लाथा मेहराब दिखई दा, दिखावे को मेहराब बनाते हो,
पढ़ कलमा लोक हसाई दा, लोगों को कलमा पढके सुनाते हो,
दिल अंदर समझ न लाई दा, उसकी पर समझ न दिल में लाते हो,
कदी सच बात भी लुकदी ऐ। पर सच्चाई कभी नहीं छुपती है।
एक नुख्ते विच गल मुग्दी ऐ। इस नुख्ते(बिंदु )पर बहस रूकती है।
Useless to rub your forehead on ground,
show arches(mehrab) your around,
recite holy words in front of crowd,
without understanding for what its' about,
But truth never hide never bent,
At this point,all talks end.
कई हाजी बन बन आए जी, कई हाजी बनकर आते हैं,
गल नीले जामे पाए जी, उन्हें नीले कपड़े ही भाते हैं,
हज विच टक्के लए खाए जी, हज पे नेकी ढेर गिनाते हैं,
पर एह गल कहनु भाए जी, इस बात से बचते जाते है,
कदी बात सची भी रुक्दी है। सच बात मगर नहीं रूकती है।
एक नुख्ते विच गल मुग्दी ऐ। इस नुख्ते(बिंदु )पर बहस रूकती है।
As haji many return,
blue shawls they worn,
they count there merits on haj ride,
but from truth they hide,
But truth never stops nor repent,
At this point,all talks end.
इक जंगल भर बन जांदे नें, कोई जंगल रहने जाता है,
इक दाना रोज़ ले खांदे नें, एक सुखा दाना खाता है,
बे समझ वजूद ठिकान्दे नें, राह अपनी समझ न पाता है,
घर आवां हो के मांदे नें, पतला-दुबला घर आता है,
ऐवएं छलिया विच जिंद सुखदी है, यूँ भटकते हुए ही ज़िन्दगी कटती है,
एक नुख्ते विच गल मुग्दी ऐ। इस नुख्ते(बिंदु )पर बहस रूकती है।
Some went to forest for salvation,
feed on a single grain a day as ration,
Without understanding the right path,
they imbalance their body's math,
Life remain futile in this wandering trend,
At this point,all talks end.
फड़ मुर्शद अब्द खुदाई हू, उसका शागिर्द बन जिसमे खुदाई हो,
विच मस्ती बे परवाई हू, जिसमें न दुनिया की बुराई हो,
बे ख्वाहिश बे नवाई हू, जिसकी ख्वाहिश बस सच्चाई हो,
विच दिल दे खूब सफाई हू, और दिल के अंदर सफाई हो,
बुल्ला बात सची कदी रुकदी है, कहे बुल्ला!सच्चाई न फिर रूकती है,
एक नुख्ते विच गल मुग्दी ऐ। इस नुख्ते(बिंदु )पर बहस रूकती है।
Choose a teacher who is spiritual,
above from worldly ritual,
who wants to seek only truth,
whose heart is very sooth,
Ask Bulla,can truth be than descend.
At this point,all talks end.
Note: to have a better understanding of this poem you may click here
Ek nukhte wich gal mugdi ae-Nusrat Fateh Ali Khan
je rab milda nahteyan dhotyan, milda dadduyaan machhiyaan
ReplyDeleteBulleh Shah rab ohnan nun milda jinhan di nitaan sacchiyan.
I heard this kalaam many times over, it takes over your senses and mesmerises like nothing else. Add to it the soulful rendition by Nusrat Sahib! Wow!!
Thanks Meenakshi for reminding these lines,I will work on in some other post.Thank you
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