Ye Ishq Nahin Aasan

ये इश्क़ नहीं आसान।(This love is not easy) - Unknown Poet


This ghazal is written by an unknown poet inspired by Ghalib's " Ye ishq nahin aasan bas itna samajh lijiye,ek aag ka dariya hai aur doob ke jana hai." The translation is done by me.

मासूम मोहब्बत का बस इतना फ़साना है,
कागज़ की हवेली है,बारिश का ज़माना है. 

An innocent love has just that story of pain,
A mansion of paper,in the time of rain.

क्या रस्म-ए-मोहब्बत है,क्या शर्त-ए-ज़माना है,
आवाज़ भी ज़ख़्मी है और गीत भी गाना है. 

What a ritual of love,what a condition of this age,
Voice is wounded and needs a song to stage.

टूटा हुआ दिल अपना यूँ उनको दिखाना है,
भीगी हुई आँखों से एक शेर सुनाना है. 

In this way,show my broken heart to her,
To recite a couplet with wet eyes to her.

उस पार उतरने की उम्मीद नहीं रखना,
कश्ती भी पुरानी है,तूफ़ान भी आना है. 

Don't expect to land across,
Dinghy is old,storm to surpass.

नादानी मेरे दिल की फिर इश्क़ की ज़द पर है,
फिर आग का दरिया है,फिर डूब के जाना है. 

Innocence of by heart is vulnerable to love again,
Again a river of fire,to be sunk yet again.

ये इश्क़ नहीं आसान बस इतना समझ लीजिये,
एक आग का दरिया है और डूब के जाना है. 

Understand that this love is not easy,
A river of fire and to go drowning.

For better understanding visit: Doob Ke Jana Hai.

Comments

  1. What a delightful read! And the translation is equally beautiful. Thanks for sharing this one.

    This is my favorite couplet ~

    क्या रस्म-ए-मोहब्बत है,क्या शर्त-ए-ज़माना है,
    आवाज़ भी ज़ख़्मी है और गीत भी गाना है.

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  2. Just speechless.......

    नादानी मेरे दिल की फिर इश्क़ की ज़द पर है,
    फिर आग का दरिया है,फिर डूब के जाना है.......

    what is life without love.........!

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  3. यह इश्क नही आसा बस इतना समझ लिजिये एक आग का दरिया है और डूब के जाना है...this one is my favourite....i loved this :)

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  4. Beautiful poetry and good translation. Thank you for the delightful read :)

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  5. मुज़फ़्फ़रनगर रज़्मी साहब की ग़ज़ल है ये...।

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  6. उस पार उतरने की उम्मीद बहोत कम है
    कश्ती भी पुरानी है, तूफ़ाँ को भी आना है

    भोली सी अदा कोई, फिर इश्क़ की ज़िद पर है
    ये आग का दरिया है, और डूब के जाना है...।

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