Mehve Khayal(lost in thoughts)
महवे ख्याल।(ख्यालों में खोये हुए)
महवे खयाल यार हूँ,लज्ज़ते कश अज़ार हूँ। मुझको सजा यूँ मिली इश्क में बेकरार हूँ। |
कैसी मै नाबकार हूँ,
गरचे जवां मै हज़ार हूँ,
लज्ज़ते कश अज़ार हूँ,
महवे-ख्याल यार हूँ,
मुझको सज़ा यूँ मिली इश्क में बेकरार हूँ।
हूँ मै असीरे रंजोगम,
हिज्र के दिन ये पुर अलम,
कुफ्रे शबाब पुर सितम,
नालाये दिल फ़गार हूँ,
मुझको सज़ा यूँ मिली इश्क में बेकरार हूँ।
हो गई ज़िन्दगी से सैर,
आजा तू मौत गुलबरग न देर,
मुल्के अदम की हो गई सैर,
आज़में कीये यार हूँ ,
मुझको सज़ा यूँ मिली इश्क में बेकरार हूँ।
जान मै जिसको देती हूँ,
कलमा में जिसका पड़ती हूँ,
दिल से मै जिस पर मरती हूँ,
उस दिल के लिए मै बार हूँ,
मुझको सज़ा यूँ मिली इश्क में बेकरार हूँ।
आतिफे गामगार सुन,
नाजिशे संदबहार सुन,
शाहिरे सहरेकार सुन,
नालाए अश्क बार हूँ,
मुझको सज़ा यूँ मिली इश्क में बेकरार हूँ।
नोट:ये ग़ज़ल एक शायर की बिना छपी किताब में से है जो "आतिफ" नाम से लिखते थे।ये भी उन शायरों में से हैं जो वक़्त के पन्नो में कहीं खो गए।इनके बारे में और जानकारी हो तो ज़रूर दें।
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