Woh

वो 

किसी ने कहा ना किसी ने सुना है,
एक आवाज़ मगर आती तो है।

होले से छुकर,वो गालों को मेरे,
यहीं-कहीं से जाती तो है।

अंधेरों को मेरे मिटाने वो शब में,
चिरागों को आकर जलाती तो है।

दिखती नही है न आते न जाते,
एहसास मगर अपना कराती तो है।

बुलाऊ कभी तो वो आती नहीं है,
तनहाइयाँ मगर, मिटाती तो है।

चिलमन में चेहरा छुपाए है बैठी,
ख्वाबों में मगर सताती तो है।

उसे कभी देखा तो नहीं है,
एक सूरत दिल में नज़र मगर आती तो है।





Comments

Popular posts from this blog

Raksha Bandhan - Jiski Bahan Nahin Hoti.

Na Muhn Chupa Ke Jiye Hum Na Sar Jhuka Ke Jiye

The Seven Stages Of Love