Tujhe Na Sochun To Kya Karoon.......

तुझे न सोचूं तो क्या करूं ......

तुझे न सोचूं तो क्या करूं,
वक़्त के इस खालीपन को कैसे भरूं।

सरगम अगर बनाऊं,लफ़्ज़ों से उसे सजाऊं,
गीत जो बनता है उसमे तुझे ही गुनगुनाऊँ,
फिर उसे न गाऊँ,तो क्या करूं .......

तुझे न सोचूं तो क्या करूं,
वक़्त के इस खालीपन को कैसे भरूं।

कोरे से कागज़ पे कुछ मिटाऊं,बनाऊं,
रंगों में उसे भरूं ,भिगाऊं,
तेरा चेहरा ह़ी बन जाता है।
रंग फिर न भरूं,तो क्या करूं .......

तुझे न सोचूं तो क्या करूं,
वक़्त के इस खालीपन को कैसे भरूं।

फूलों को धागों में पिरा,एक माला का रूप दिया,
वो तेरी तरह महके तो खुद को कैसे समझाऊं, 
उस खुशबू से खुद को कैसे अलग करूं .....

तुझे न सोचूं तो क्या करूं,
वक़्त के इस खालीपन को कैसे भरूं।

जान अपनी छोड़ कर,याद तेरी छुट जाएगी,
गले में फन्दा डाल लिया,सोचा मर जाऊं,
पर साथ मेरे तू भी तो है,जान तेरी कैसे लेलूं .......

तुझे न सोचूं तो क्या करूं,
वक़्त के इस खालीपन को कैसे भरूं।

Comments

Popular posts from this blog

Raksha Bandhan - Jiski Bahan Nahin Hoti.

Ashamed

The Seven Stages Of Love